अध्याय 9 ~ अब आप क्या करना चाहेंगे?

जिस तरह से आपने अब तक अपनी ज़िंदगी जी है और उसके जो नतीजे निकले है उससे आप अपनी ज़िंदगी के तौर तरीकों को समझ गये होंगे। क्या आप परमेश्वर के प्रेम को पाना चाहते हैं? अगर आप वाकई में उन बातों के लिए पछताते हैं जिससे आपने परमेश्वर और दूसरे लोगों को चोट पहुंचाई है, और आप भरोसा करते हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर का बेटा है, जो क्रूस पर आपके पापों के लिए मरा गया, तो यकीनन परमेश्वर आपके पापों को माफ कर देगा। तब परमेश्वर और आपके बीच में कोई भी रुकावट नहीं आ सकेगी। और उससे भी अहम बात यह है की आपको परमेश्वर अपने बेटे के रूप में गोद लेंगे।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्‍वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्‍वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्‍वर से उत्पन्न हुए हैं। यूहन्ना 1:12-13

शायद आपको भरोसा न हो कि इस दुनिया की मुक्ति के लिए यही परमेश्वर की योजना हैं। पर आपको भरोसा दिलाने के लिए की वो आपसे प्रेम करते हैं, परमेश्वर और क्या करते?

“हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो, और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ : और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।” मत्ती 11:28-30

अब आप क्या फैसला लेना चाहेंगे?

क्या आप वही करते रहना चाहेंगे जो अब तक करते आ रहे थे या फिर वो करेंगे जो आपके लिए बेहद जरूरी है? क्या आप उस मकसद को ध्यान में रखे बिना ज़िंदगी जीना चाहते हैं जिसके लिए बननेवाले ने आपको बनाया है? यह मुमकिन है। लेकिन आपकी पुरानी ज़िंदगी जीने का फैसला आपका जो भविष्य तय करेगा। वह परमेश्वर के बिना एक भविष्य होगा। वो भविष्य जो अंधेरे में होगा, जो आपने अपने लिए चुनी, आपके व्यवहार, आपकी पसंद के नतीजे के अनुसार

या फिर आप एक नई ज़िंदगी शुरू करने के इस सुंदर मौके का फायदा उठाएंगे? एक ऐसी ज़िंदगी जो कहीं अधिक कीमती और सुंदर है जिसे आप अभी समझ नहीं सकते। परमेश्वर के परिवार के सदस्य के रूप में एक जीवन जीना। एक ऐसा जीवन जिसमें आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, कि वह एक अच्छे पिता के तौर पर आपकी देखभाल करेगा।

अगर आप अपने जीवन में परमेश्वर को तरजीह या पहला स्थान देना चाहते हैं, तो वह आपकी पूरी मदद करेगा। इसका मतलब यह नहीं है कि आप फिर कभी गलती नहीं करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह है कि आप अपनी गलतियों को परमेश्वर के सामने कुबूल करेंगे और वह आपको माफ कर देंगे। जीवन में परमेश्वर के सम्मान को अपना मुकाम बनाए। ज़िंदगी में तरह तरह के लालच रहेंगे, आपका शरीर भी एक दिन मार मिटेगा पर आपकी आत्मा हमेशा हमेशा के लिए परमेश्वर के साथ रहेगी।

मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे कि ज़िंदगी दरअसल है क्या। यह एक अच्छे घर, बहुत सर पैसा और अच्छी सेहत के बारे में भी नहीं है। परमेश्वर के साथ जीवन जीना आराम का जीवन नहीं है। जीवन में काफी चुनौती रहेंगे साथ ही कई रास्ते भी मिलेंगे। पर सबसे बड़ा फर्क यह होगा की कि आपको यह पता होगा की आप यह सब आखिर किसके लिए कर रहे हैं, और वह आपकी मदद करेगा। आप निश्चित हो सकते हैं कि यह जानकार की आपकी ज़िंदगी परमेश्वर के लिए और परमेश्वर में बीत रही हैं।

और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्‍वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएँ तो उसके साथ महिमा भी पाएँ। क्योंकि मैं समझता हूँ कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। रोमियों 8:17-18

यह कोई आसान राह नहीं है।

मुझे आशा है कि परमेश्वर ने आपके लिए जो किया है, उसने आपके दिल को छुआ है। फिर भी, परमेश्वर के रास्ते पर चलना और यह स्वीकार करना कि वह मारा गया और आपके लिए जी उठा, कोई आसान रास्ता नहीं है। खासकर तब जब आपका अब तक ईश्वर के बारे में बहुत ही अलग नजरिया था। खासकर तब जब आप ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो परमेश्वर की सच्चाई नहीं जानते या उसे नजरंदाज करते हैं।

उसने भीड़ को अपने चेलों समेत पास बुलाकर उनसे कहा, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आपे से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा। यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा? मरकुस 8:34-37

यदि आप परमेश्वर के साथ जीवन चुनते हैं, तो खुद को बदलना होगा। आपको यह एहसास करना होगा कि आप अपने पापी जीवन को अपने खुद के दम पर छोड़ने में काबिल नहीं। आपको यह भरोसा करना होगा की परमेश्वर आपको अपनी पिछली ज़िंदगी जो आप अपनी मर्जी से अब तक जी रहे थे, जो की पापों से भरी हुई हैं उससे बाहर निकालने में मदद करना चाहता है। आपको यह भरोसा करना होगा की परमेश्वर ने अपने इकलौते बेटे को आपको बचाने के लिए भेजा। आप उनके परिवार का हिस्सा बनने के उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर सकते हैं।

आप खुद जांच पड़ताल करें।

अपनी कहानी के ज़रिये मैंने यह समझने की कोशिश की हैं की कैसे परमेश्वर ने मुझे एक लक्ष्यहीन और मरा हुआ जीवन से बचा लिया। बाइबल पढ़ने से, मैं परमेश्वर और उसकी सच्चाई के बारे में अधिक से अधिक जान पाता हूँ।

मैं अक्सर यह भी नोटिस करता हूं कि परमेश्वर मेरे करीब रहते हैं, वो मेरी बातें सुनते हैं और मेरी रोजमर्रा की ज़िंदगी में मेरी मदद करना चाहते हैं। तब भी जब चुनौतियां और समस्याएं मेरे सामने हों। अक्सर ऐसा होता है कि परमेश्वर मुझे जो रास्ता दिखाते हैं वो मैं खुद भी नहीं समझ पाता हूँ। अगर आप परमेश्वर पर भरोसा करेंगे तो आप उसे अपने करीब पाएंगे और आप यह भी एहसास करेंगे की वह आपकी मदद करना चाहता है।

यीशु खुद कहते हैं:

और उसने कहा, “इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।” यूहन्ना 6:65

यदि आप ईमानदारी से सच की खोज कर रहे हैं, तो प्रार्थना करें और ईश्वर से आपके किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए कहें। उससे कहिए की सच को खोजने में वो आपकी मदद करें। मैं आपको हौसला देना चाहता हूँ बाइबल पढ़ने के लिए जिससे आप यह समझ पाएंगे की परमेश्वर आपसे अपने वचन (बाइबल) के ज़रिये भी बात करते हैं।

फैसला लेने में और इंतज़ार ना करें।

मैं जो कहता हूं उसके बारे में ध्यान से सोचें और फैसला करें। आप अपने कंधों को झाड़ कर अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। यह भी एक फैसला है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप अपनी ज़िंदगी के सबसे अहम फैसले को लेने से नहीं चूकेंगे। यह फैसला अनंत जीवन और मृत्यु के चुनने का फैसला हैं।

आपका जीवन छोटा है। यदि आप अपनी पसंद को बहुत देर तक टालते रहेंगे, तो आगे चलकर बहुत देर हो सकती है। पूरी दुनिया में हर रोज तकरीबन 1,50,000 लोग मरते हैं। देर-सवेर आप भी उनमें से एक होंगे।

तो प्रभु भक्‍तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है, विशेष करके उन्हें जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं। वे ढीठ, और हठी हैं, और ऊँचे पदवालों को बुरा भला कहने से नहीं डरते। 2 पतरस 2:9-10

इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित हैं। रोमियों 3:23

उस पर भरोसा करें जिसने आपको बनाया है

क्या आप अपने जीवन में सब कुछ त्यागने और परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए तैयार हैं? क्या आप परमेश्वर को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देने को तैयार हैं? सिर्फ जीवन में ही नहीं, बल्कि अपने मन में भी?

क्या आपको एहसास है कि आपने अपने जीवन में पहले से ही कई बुरे काम किए हैं जिन्हें परमेश्वर बिना सजा के नहीं जाने दे सकते हैं? और उन बुरे कामों को ‘अच्छे’ कामों से रद्द भी नहीं किया जा सकता जो आपने यकीनन किया है?

इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ, जिससे प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएँ। प्रेरितों 3:19

क्या आप परमेश्वर के प्रेममय प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहते हैं? क्या आप विश्वास करते हैं कि उसने अपने बेटे यीशु मसीह को इस दुनिया में आपके बदले मरने के लिए भेजा क्यूंकी आपने बहुत पाप किया हैं। क्या आपको भरोसा है कि परमेश्वर आपको माफ करना चाहता है और आपको अपने बच्चे के रूप में कुबूल करना चाहता है?

“क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” यूहन्ना 3:16

आपको सब कुछ पूरी तरह से समझने की जरूरत नहीं है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप परमेश्वर पर भरोसा करना चाहते हैं और उसे पूरा सम्मान देना चाहते हैं। और आप उनका बढ़ा हुआ हाथ थामना चाहते हैं। अगर आप अपने जीवन को ईश्वर को समर्पित करने का फैसला करना चाहते हैं, तो आपने पहला और सबसे जरूरी कदम उठाया हैं।

अत: जब हम विश्‍वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर के साथ मेल रखें, जिसके द्वारा विश्‍वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं, हमारी पहुँच भी हुई, और परमेश्‍वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। रोमियों 5:1-2

अपने बोझ को अब जाने दीजिए

आप अपना सारा अभिमान, अपने भय, व्यसनों, अवसाद की भावनाओं, तनाव, थकान और चिंताओं को उनके पास ला सकते हैं और उनके प्रेम और अनुग्रह के प्रति समर्पण कर सकते हैं।

“हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो, और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ : और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।” मत्ती 11:28-30

क्या आप उसके क्षमा के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहते हैं और परमेश्वर के साथ और उसके लिए एक नया जीवन शुरू करना चाहते हैं? क्या आप हमेशा के लिए परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनना चाहते हैं?

आज ही अपना फैसला करें!

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यीशु का जीवन
क्या यीशु एक नबी से बढ़कर था?
क्या परमेश्वर का कोई पुत्र हो सकता है?
क्या यीशु वास्तव में क्रूस पर मरा था?
क्या ईश्वर मर सकता है?
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क्या एक परमेश्वर 3 शख्सियत हो सकते हैं?
बाइबिल किसने लिखी?
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स्वतंत्र इच्छा या भाग्य?
क्या सृष्टिकर्ता हमारी सुनेगा?
एक ही ईश्वर , अलग-अलग नाम?
सारांश