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अध्याय 5 ~ सच की खोज करें

आपको याद है कि मैंने कुदरत की सुंदरता के बारे में लिखा था कि कैसे हम अपने जान सकते हैं कि एक सृष्टिकर्ता हैं। अध्याय 3 में हमने उसकी कई खूबियों की खोज की। शायद आपने इस बारे में कुछ सोचा हैं। क्या आपने उसकी और भी खूबियों की खोज की?

हम एक जरूरी मुद्दे पर आ गए हैं। क्या आप सच में सच्चाई की खोज करना चाहते हैं? क्या आप उन चीजों के बारे में सोचने के लिए तैयार हैं जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा? उन सवालों के बारे में जिनका जवाब आपको लगता है कि आप जानते हैं? या वैसे सवाल जिनके जवाब दूसरे लोगों ने आपके लिए दे दिए हैं?

अगर आप यकीनन जानना चाहते हैं कि आपका सृष्टिकर्ता कौन है, तो सबसे पहला काम जो आप कर सकते है वो यह की आप उसे सच्चाई दिखाने के लिए कहें। मैंने यह पाया है कि वह आपकी सोच से ज़्यादा करीब है। जब आप सच की तलाश कर रहे हैं, तो वह आपको इसे खोजने में मदद करेगा।

आप सच को खोजने के लिए दुनिया के सभी धर्मों का अध्ययन कर सकते हैं। लेकिन 4,000 से अधिक धर्म हैं, इसलिए उन सभी का अध्ययन करने के लिए एक पूरी ज़िंदगी काफी नहीं है। आपको स्रोत पर जाना होगा।

मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ

यह काफी बड़ा बयान है! अगर आप ऐसा कुछ कहते हैं, तो आप या तो सपने देखने वाले हैं या आप ऐसे इंसान हैं जो यकीनन सच जानता हैं।

ये यीशु मसीह के वचन हैं। वह अब तक जीने वाला सबसे खास इंसान हैं। लेकिन वह एक खास इंसान से भी बढ़कर थे। मैं आपको इसके बारे में और बाद में बताऊंगा। उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में ज़्यादा जानकारी सिर्फ और सिर्फ बाइबल में पाई जाती है। लेकिन आप पहले यह जानना चाहेंगे कि बाइबल दूसरे सभी किताबों से अलग क्यों है और बाइबल भरोसेमंद क्यों है। नीचे दी गई लेखों के ज़रिये आप यह जान सकते हैं की आखिर क्यूँ बाइबल दूसरी सभी किताबों से अलग है। एक किताब जो की २००० सालों से भी ज़्यादा पुरानी है पर वो अभी भी प्रासंगिक हैं।

मुझे आशा है कि आप उन चीजों की खोज करने की खवाहिश रखते हैं जो आपके भविष्य के लिए बहुत जरूरी हैं। अब से, मैं बाकायदा बाइबल की एक आयत का इस्तेमाल करूँगा। अगर आप इस वचन के पीछे की कहानी जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। जो मिसाल नीचे दर्ज हैं वह यीशु मसीह से है:

इसलिये पहले तुम परमेश्‍वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। मत्ती 6:33 

 

अगर बाइबल का परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता है, तो आप अपने जीवन के लिए उसके उद्देश्य की खोज करना चाहेंगे, क्योंकि वह वही है जिसने आपको बनाया है। लेकिन हम इंसान खुद की इच्छा पर चलते हैं। हम खुद तय करना चाहते हैं कि क्या करना है और हमारा जीवन कैसा होना चाहिए। बहुत से लोग दूसरों को यह तय करने देते हैं कि उन्हें कैसे जीना चाहिए, बिना यह सोचे कि जीवन में उनका मकसद क्या है। मुझे आशा है कि आप खुद के मकसद को खोजने के लिए तैयार हैं।

हम रोबोट या गुलाम नहीं हैं

हम तुरंत मामले की तह तक जाते हैं। जीवन में आप जो चुनाव करते हैं वह आपको जीवन को देखने का नजरिया दिखाता है। बाइबल लोगों के चुनाव करने के मिसालों से भरी पड़ी है। कुछ लोग जीवन को उस तरह से चुनते हैं जिस तरह से परमेश्वर चाहता है, और दूसरे नहीं चुनते।

यही बात इंसान को सभी प्राणियों में खास बनाती है। परमेश्वर ने हमें रोबोट की तरह नहीं बनाया है जो ठीक उसी तरह से काम करते हैं जैसे उन्हें प्रोग्राम किया जाता है। न ही हम गुलाम हैं जिन्हें सिर्फ वही करने की इजाजत है जो उनका मालिक उन्हें करने के लिए कहता है। क्या आपको लगता है कि महान सृष्टिकर्ता को नौकरों की या रोबोटों की जरूरत है? नहीं। उन्होंने हमें चुनने की आजादी दी है। लेकिन क्यों?

उसने आपको यह आजादी दी है क्योंकि वह अपने प्यार को आपके साथ बांटना चाहता है। आप न तो मारी वस्तुओं को प्यार दे सकते हैं, न ही रोबोट या गुलामों को, लेकिन आप इसे उन प्राणियों को दे सकते हैं जो उस प्यार का जवाब दे सकते हैं। परमेश्वर चाहता हैं की आप उनपर ध्यान लगाएं, परन्तु इसके लिए वह आपको मजबूर नहीं करता है। वह चाहता है कि आप अपने लिए उसके प्रेम के प्रति सच्चे दिल से जवाब दें।

ईश्वर खुद को प्रकट करते हैं

मैंने एहसास किया है कि अगर आप अपने सवालों के जवाब पाने के लिए संजीदा तौर पर कोशिश कर रहे हैं तो परमेश्वर खुद आपको उन्हे खोजने में मदद करता है।

तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। यिर्मयाह 29:13

परन्तु वहाँ भी यदि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को ढूँढ़ोगे, तो वह तुम को मिल जाएगा, शर्त यह है कि तुम अपने पूरे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूँढ़ो। व्यवस्थाविवरण 4:29

“जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो यशायाह 55:6

मैंने पाया है कि यदि तुम ईश्वर को खोजो तो वह मिल सकता है। और इससे भी बड़ी बात क्या है: मैंने पाया कि वह आपको अपना समय देगा।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा। तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा। तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। यिर्मयाह 29:11-13

अगर आप भी अपने सिरजनहार के बारे में और जानना चाहते हैं, तो मैं आपको खुद के लिए सच्चाई की जाँच करने के लिए हौसला अफजाई करना चाहूँगा। अगर आप उत्सुक हैं, तो मेरी कहानी पढ़ने के बाद रुकें नहीं, बल्कि अपने लिए बाइबिल पढ़ें और देखें कि क्या वचन आपके दिल से बात कर रहा हैं। अगर यह सच है कि ये एक प्यार करने वाले और धर्मी सृष्टिकर्ता के वचन हैं, तो वे आपके दिल को भी छू लेंगे।

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उसे अपनी शंकाओं के बारे में बताएं

मैं आपको किसी भी सवाल और शक के बारे में ईश्वर को बताने के लिए हौसला अफजाई करना चाहूँगा। वह सही समय पर सुनेगा और जवाब देगा। आपको उसका जवाब उसके वचन (बाइबल) में मिल सकता है, लेकिन ऐसे और भी तरीके हैं जिनसे वह आपको हैरान कर सकता है।

पर जैसा परमेश्‍वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं, और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्‍वर को, जो हमारे मनों को जाँचता है, प्रसन्न करते हैं। 1 थिस्सलुनीकियों 2:4

फर्क पड़ता है क्या?

सब अच्छा और ठीक है, आप सोच सकते हैं, लेकिन हम सृष्टिकर्ता के बारे में क्या जानते हैं? मैंने सुना है कि वह लोगों से प्यार करता है, लेकिन मेरे लिए इसका क्या मतलब है? और क्या इससे यकीनन कोई फर्क पड़ता है कि आप कैसे रहते हैं?

क्या फर्क पड़ता है कि मैं अपने जीवन के साथ क्या करता हूँ?

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सारांश